बच्चों का खिलौना लेकर कोई आता था।
जहां पला बढ़ा था बचपन उसका गांव वहीं उसे बुलाता था,
पर भारत मां का वो बेटा तिरंगे में लिपटा मुस्कुराता था।
जब फोन की घंटी बजती थीं,
सांसे उतरती चढ़ती थी,
सब ठीक तो है न बेटा, सुना है ठंड बड़ी है वहां,
सुनता था पर अनसुना कर जाता था।
आज देखो वो भारत मां का बेटा तिरंगे में लिपटा मुस्कुराता था।
कैसे शब्दो में पिरोऊं एक फौजी के जज्बात
लिखने को जाऊं कमबख्त कलम उड़ेल देती है आसूंओं की सौगात।
याद आता है बाबा से किया वापिस आने का वादा,
बहन की पायल की मांग,
पत्नी का सिंदूर और मां का चेहरा
पर देश उसे सबसे पहले याद आता था,
इसलिए देखो आज वो भारत मां का बेटा
तिरंगे में लिपटा मुस्कुराता था।
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धीरज कथूरिया
Awesome yr😂
ReplyDeleteThanx
DeleteBeautiful description bro. Hats off
ReplyDeleteThnx bhai
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