लाडले के इंतजार में मां की आखें, पिता के चेहरे पे उलझन की लकीरें और पत्नी का शिंगार उसे बुलाता था।बच्चों का खिलौना लेकर कोई आता था।जहां पला बढ़ा था बचपन उसका गांव वहीं उसे बुलाता था,पर भारत मां का वो बेटा तिरंगे में लिपटा मुस्कुराता था।जब फोन की घंटी बजती थीं,सांसे उतरती चढ़ती थी,सब ठीक तो है न बेटा, सुना है ठंड बड़ी है वहां,सुनता था पर अनसुना कर जाता था।आज देखो वो भारत मां का बेटा तिरंगे में लिपटा...
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